सरकारी पैसे पर द्वार-द्वार का खेल, एक स्मृति को मिटाने की कोशिश?

किच्छा विधानसभा क्षेत्र के प्रतापपुर गांव में विधायक तिलक राज बेहड़ द्वारा एक ही मार्ग पर महज 200 मीटर की दूरी पर दूसरा स्मारक द्वार निर्माण कराना न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है, बल्कि यह गांव की सामाजिक और ऐतिहासिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला कदम भी माना जा रहा है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह निर्माण पूर्व विधायक द्वारा पहले से बनाए गए स्वर्गीय किसान नेता यशवंत मिश्र की स्मृति द्वार को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से कमतर दिखाने का प्रयास है, जिसे गांववासी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
वर्ष 2021-22 में तत्कालीन विधायक राजेश शुक्ला ने ग्रामवासियों के अनुरोध पर अपने विधायक निधि से स्व. यशवंत मिश्र की स्मृति में एक भव्य द्वार का निर्माण कराया था। यह द्वार गांव की मुख्य सड़क पर स्थापित किया गया था और यह स्व. मिश्र के जीवन संघर्ष, किसान हितों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सामाजिक योगदान का प्रतीक बन चुका है। ग्रामीणों के अनुसार यह द्वार उनके लिए केवल एक प्रवेश द्वार नहीं, बल्कि उनके स्वाभिमान और पहचान का प्रतीक है। स्व. यशवंत मिश्र किसान मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन किसानों और आमजन के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए बिताया। उनकी मृत्यु के बाद यह स्मृति द्वार ग्रामवासियों के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप स्थापित किया गया, जिसे पूरा गांव भावनात्मक रूप से जुड़ा मानता है। ऐसे में उसी मार्ग पर एक और द्वार का निर्माण कराना गांव के लोगों को एक सुनियोजित राजनीतिक कदम लग रहा है।
वर्तमान विधायक तिलक राज बेहड़ द्वारा हाल ही में उद्घाटित द्वार को "स्वतंत्रता संग्राम सेनानी द्वार" का नाम दिया गया है, जिसका लोकार्पण स्वयं विधायक ने क्षेत्रीय नागरिकों की उपस्थिति में किया। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने से अधिक, पूर्व स्मारक को दबाने और स्व. मिश्र के योगदान को कम आंकने की कोशिश प्रतीत होता है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक पूर्व में भी स्व. मिश्र को लेकर आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं, जिससे पहले ही गांव की भावना आहत हुई है। ग्रामवासियों ने इस घटनाक्रम को लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संसदीय नैतिकता के खिलाफ बताते हुए एक सुर में विरोध जताया है। उनका कहना है कि यदि सार्वजनिक निधि का इस प्रकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग होता रहा तो जनता का लोकतंत्र से भरोसा उठ जाएगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे इस अपमान को चुपचाप नहीं सहेंगे और आवश्यक हुआ तो जनआंदोलन भी करेंगे, ताकि गांव की अस्मिता और अपने पूर्व नेता की गरिमा की रक्षा की जा सके।

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