रुद्रपुर में नशे के खिलाफ चल रहा जनजागरण अभियान अब जनांदोलन का रूप लेता दिख रहा है। अवैध कच्ची शराब, चरस, गांजा, सुल्फा और सूखे नशे के खिलाफ समाज के विभिन्न वर्ग — युवा, श्रमिक, मातृशक्ति और सामाजिक कार्यकर्ता — तेजी से एकजुट हो रहे हैं। समाजसेवी सुशील गाबा द्वारा अकेले शुरू की गई यह पदयात्रा अब व्यापक जनसमर्थन प्राप्त कर रही है। गाबा की ईमानदार छवि और लंबे समय से चले आ रहे जनसंघर्षों के इतिहास ने लोगों में विश्वास जगाया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में नागरिक इस मुहिम से जुड़ते जा रहे हैं।

ट्रांजिट कैम्प में आज डॉ. महेश राजपूत के प्रतिष्ठान पर समाजसेवी चौखे लाल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपस्थित लोगों ने नशे के खिलाफ अपने संकल्प को दोहराया। इसके बाद सभी ने पदयात्रा निकालकर बस्ती में नशे के खिलाफ जनजागरण की अलख जगाई। इस अवसर पर समाजसेवी सुशील गाबा ने कहा कि आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि हम अपनी नई पीढ़ी को नशे के जाल से बचाएं। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन पूर्णतः गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित होगा, जिसमें न हिंसा का स्थान होगा, न ही कानूनों की अवहेलना का। उनका कहना था कि नशे पर नियंत्रण के लिए सबसे प्रभावी उपाय है जनता से सीधा संवाद, जिससे लोग नशे के स्वास्थ्य, मानसिक और सामाजिक दुष्प्रभावों को समझ सकें। जनता के एकजुट होने से ही नशे के सौदागरों की जड़ें कमजोर होंगी।

समाजसेवी चौखे लाल ने अपने संबोधन में कहा कि वह सुशील गाबा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस मुहिम में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नशे का यह जंजाल समाज को खोखला कर रहा है, और इसे समाप्त करने के लिए हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होगी। पदयात्रा के माध्यम से प्रत्येक परिवार तक पहुंचना और उन्हें इस अभियान से जोड़ना ही इसका मुख्य उद्देश्य है।
इस मौके पर नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष मोनू निषाद, पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष जावेद अख्तर, समाजसेवी हैप्पी रंधावा, पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्षा नेहा सामंत, मोनू कश्यप, पूर्व छात्रसंघ उपसचिव गौरव शुक्ला सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता जैसे वीरेन्द्र कुमार, देवेन्द्र गंगवार, भगवान दास, हरीश चन्द्र सैनी और राकेश कुमार भी पदयात्रा में शामिल रहे। सभी ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि नशे के खिलाफ यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक समाज पूरी तरह नशामुक्त नहीं हो जाता।
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